Sunday, April 24, 2011

मातम...

कल रात उस सितारे की अचानक मौत हो गई...
जो चाँद से मोहब्बत करता था...
चाँद यह खबर सुन कर कुछ सुन्न सा चमकता रह गया...
रात भर अपने आप को यकीं दिलाने की कोशिश करता रहा के अब वोह नहीं है...
कल  चाँद को धरती को देर तक तकते देखा था मैंने...
न कोई आँसूं टपका कही न कोई चीख...
शायाद अबतक वोह बात दिल तक उसके उतरी नहीं...
जैसे जैसे सब बादलों को खबर मिली तो सफ़ेद लिबास पेहेन कर चाँद के घर पहुँच रहे थे...
उस दिन बोहोत से बादलों को आसमान पे शोक मनाते देखा था मैंने...
एक ही मुद्रा में खामोशी की सफ़ेद चादर ओढ़े हुए...
जाने वाले के ग़म में बहुत देर तक आंसू बहाते रहे...
हाँ कल दिन भर बारिश होती रही...
फिर कुछ देर बाद जो हवा चली तो सब उठ के अपने सफ़र पे चल पड़े...
यह सोचकर के अब घर वालों को अकेला छोड़ दो...
और आसमान साफ़ था और चाँद फिर अकेला आसमान पे भटकता रह गया...
उस रात मैंने चाँद को नहीं देखा आसमान पे, पर कुछ चीखें ज़रूर सुनी थी बिजली की...
कुछ लोगो ने देखा था चाँद को लम्बे सफ़र पे जाते...
शायद उसकी आस्तियां बहाने गया होगा आकाश गंगा की तरफ...

जिंदगी के साथ मौत का भी खेल सब जगह एक जैसा है...
मौत के बाद का मौन आसमान और जमीं पर एक जैसा लगता है.....


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