Friday, June 20, 2014

घड़ी

मेरी घड़ी रुक गयी है, जबसे तुमको आखरी बार देखा था
बोहोत कोशिश की पर ठीक नहीं होती
आओ के फिर मिले हम, के वक़्त आगे चले
सब कुछ ठहर सा गया है

तसवीर


अपनी छत से अक्सर देखा है चाँद को
बोहोत पास नज़र आता है
हाथ बढ़ाऊं तो छू ही लूँ
तेरी तसवीर जब देखता हूँ
तब मुझे उस चाँद का तसव्वुर होता है

उम्मीद

अक्सर मैंने एक पागल औरत को देखा है
मेरे घर के चक्कर लगाती रहती है
मैले कपडे, बिखरे बाल
जो भी गुज़रता है रास्ते पर उससे बस यही सवाल पूछती है
वो कब आएगी?
हर बार जब मै घर से निकलू मेरे पीछे भागती है
न जाने किसकी तलाश है उसे
उस की चीख सुन कर आंसू आते है आँखों में
कल की शब  अपने आँगन में देखा था उसको
किसी रूठे हुए बच्चे की तरह कोने में बैठी थी
मैंने बड़े प्यार से उससे पुछा कौन हो तुम?
मेरे कानो में वो चुपके से कह गई
मैं तुम्हारी उम्मीद हूँ.…

माँ

माँ मै तुझे कैसे समझाऊं
कितना अकेला लगता है मुझे
जब ज़िन्दगी मुझे तोड़ देती है
जी करता है फिर तू मुझे गोद में सुलाये अपनी
और जब सुबह उठु तो सब कुछ ठीक हो जाए
जैसे बचपन में  होता था
पर अब जो मै बड़ा हो गया हूँ
तुही बता किस तरह बताऊँ मै तुझे
हर कोई मुझे छोड़ जाता है अकेला बेवजह
तुमने तो कहा था तुम रहोगी मेरे  साथ हमेशा
मुझे याद आता है वो बचपन का दिन
जब तुझसे हाथ छूटकर खो गया था मै
मै आज भी वही खड़ा हूँ, बोहोत सालों से
आकर मेरा हाथ थाम लो.....