Sunday, January 31, 2010

कभी तो बन तू मेरा साकी

कभी तो नज़र डाल मेरे मैखाने में 
खुल जायेंगे सब दरवाज़े तेरे लिए 
हो जायेंगे मेरे ख्वाब पुरे जो थे बाकि 
कभी तो आ कभी तो आ कभी तो बन तू मेरा साकी

सिने की उलझने सब मिटा दूंगा 
लबों की कपकपाहट को छीन लूँगा 
दो जाम भर के कभी मेरी आँखों में देख 
मेरी जन्दगी में कुछ न रहेगा बाकि 
कभी तो आ कभी तो आ कभी तो बन तू मेरा साकी

मेरा मैखाना तेरे बिना एक कब्र्खाना है 
तू मेरी हाला है , तुने मेरी जिंदगी को बदल डाला है 
सारे जहां में तुझसा न कोई हसीन अब बाकि 
कभी तो आ कभी तो आ कभी तो बन तू मेरा साकी..........

Wednesday, January 27, 2010

एक ख्वाब

रात के दुसरे पहर में मेरी आँख अचानक खुल गयी
खिड़की के बाहर देखा तो बरसात हो रही थी
बूंदे हवाओं से मोहब्बत कर रही थी
बद-ए-सबा में एक अजीब सी ख़ामोशी थी

फिर उस लम्हे की याद मेरे दिल में ताज़ा हो गयी
जब तुम बारिश होने पर अपने घर के आँगन में आती थी
और अपना हाथ बाहर निकल कर खड़ी रहती थी
बूंदे तुम्हारे हाथ से छु  के दिवानो की तरह ज़मीन में मिल जाती थी
कितनी खूबसूरत लगती थी तुम

फिर कुछ उसी लम्हे को दोहराने के लिए
मैंने अपना हाथ खिड़की के बाहर निकाला
देखा तो बरसात बंद हो चुकी थी
शायद तुमने बरसात होने पर अपने आँगन में आना बंद कर दिया है
फिर बरसात हुई मेरी आँखों से और एक बूढी माँ की तरह रात ने मुझे अपनी आघोष में ले लिया.....

"तुम"

तुने मेरे दिल पर मरहम रख दिया
पुरानी ग़म की दीवारों को तुने तोड़ दिया
मैंने तो तुमसे सिर्फ जिंदगी मांगी थी
तुने तो जिंदगी जीने का ढंग दे दिया

इतनी हसीन कैसे हो पाती हो तुम
इतनी नजाकत से कैसे चल पाती हो तुम
जुल्फे तुम्हारी लहराना कही बंद न करदे
इसलिए मैंने हवाओं को कभी न रुकने का इशारा दे दिया

मिले थे हम जहा पहली बार
वहीँ हर रोज़ खिंचा चला आता हूँ
तुम्हारी साँसों की उलझनों को महसूस करता हूँ
तुम्हारे होटों का थरथराना याद आता है
हाय! मैंने अपना दिल तो वही रख दिया

तुम्हारी आँखों की मै क्या मिसाल दू
कत्थई रंग की एक जादुई चीज़ सी लगाती है
घने जंगल सी खामोश और गहरी
मै तुझे जंगलो जंगलो ढूँढता चला गया

लोग कहते है रिंद मुझे
तेरी निगाह-ए-मस्त का हुआ मै कुछ इस कदर दीवाना
मैखानो में जाने की कभी चाह ही नहीं जगी
तुने आँखों से कुछ ऐसा पिला दिया.....  

वोह तीन दिन .......

मिले थे हम अजनबी की तरह 
पर न जाने क्यों तुझ में एक कशिश थी 
होश खो बैठा मै रिन्दों की तरह 
जिंदगी के माइने  बदल डाले तुने मेरे 
मैंने कई ख्वाब सजाये किसी बच्चे की तरह 


पर आज उन ख्वाबो में बची है तो बस 
एक तस्वीर तुम्हारी और जजबात मेरे
एक कश्ती अकेली समंदर में जिस तरह
फिर भी तुमने दिए मुझे जिंदगी के सबसे हसीन तीन दिन 
उन को पाकर मै था किसी व्यापारी जैसा जो बाँट रहा था अपनी दौलत पागलों की तरह 


हर तरफ़ मै फ़ेंक रहा था जजबात 
इस शौक में के कभी तो तुझसे टकरायेंगे 
किसी तेज़ हवा के झोंके की तरह 
पर वोह पहुँचते थे तुझ तक और बिखर जाते थे मिटटी के ढेर की तरह 
शायद मुझ में ही कोई बात न थी जो तुझे याद आये 
पर हो सके तो कभी उन जज्बातों को महसूस कर्क देखना 
आज भी वोह उतने ही बेचेन है किसी के पहले प्यार की तरह...... 

"शुक्रिया"

मै फसा था ग़म से भरे एक समंदर में
तुम अचानक कही से आई,
क्या आँखें थी तुम्हारी!!
उन में एक झिल नज़र आई
कुछ देर के लिए मै उस झील में बस तैरता रहा
कुछ देर बाद देखा तो तुमने मुझे किनारे पे लाके छोड़ दिया था

शुक्रिया तुम्हारा!!!