Tuesday, October 6, 2009

"रिश्ते"

कुछ रिश्ते शर्ट से निकले उस धागे की तरह होते है.....
जिसको खिंच कर तोडा नही जा सकता....के कही सिलाई निकल न जाए......
हवा के झोंके में बस वो धागा लहराता रहता है
और झोंका जाने के बाद उसका लहराना बंद हो जाता है.......
आख़िर में उस धागे को काटना ही पड़ता है......

तेरा मेरा रिश्ता शायद ऐसा ही था.........

दुनिया वही खड़ी थी........

कहीं पर "बुश" की बातें हो रही थी
कहीं पर नक्सलवादी अपना केहेर बरसा रहे थे.....
पर वही चाँद हमे देख रहा था...
फिर में उसी बिस्तर पर जाके सो गया था......
सुबह उठ कर उसी सूरज की किरने मेरे साथ आँख मिचोली खेल रही थी......

सब लोग चल रहे थे..... दुनिया वहीँ खड़ी थी..........

"move on"

कभी कभी में तेरे लेहेजे में बात करता हूँ......
कोई पूछे कैसे हो? तो कहता हूँ..... "m gud"
आज कल कोई भी कॉल आए तो "hi" कहता हूँ.....
कभी कभी "एक बार" को "इक बारी" कहता हूँ.......
तेरी तरह बात करता हूँ...
तेरी तरह बात सुनता हूँ.......
तेरे पसंद के गीत सुनता हूँ.....
तेरी पसंद की फिल्मे देखता हूँ.......
तेरे दोस्तों में जाके बैठता हूँ........
सुबह नाश्ते में कई बार में "आलू पराठा" खाता हूँ......
तेरी तरह सोचता हूँ...
तेरी तरह जीता हूँ.......
और तुम हो की मुझसे कहती हो.... "move on"
में "move on" करने की कोशिश तो करता हूँ....
पर क्या करू सुबह आज भी "आलू पराठा" ही खाता हूँ......
तेरे लेहेजे में आज भी में कई रोज़ काट देता हूँ.......
कभी आकर तुम ही बताओ तुम्हारे लेहेजे में कैसे करते है "move on"........