Tuesday, September 14, 2010

अक्स..

मै जानता हूँ के मै सबसे अलग हूँ.. पर सबसे अलग बन नहीं पाता.. बनू तो कैसे बनू....
मैंने देखा है मेरी सोच को औरों से अलग... पर सबसे अलग हो नहीं पाती... है तो कैसे है..
ख़याल की मेरे सूरत सबसे जुदा है... पर सबसे अलग दिखती नहीं... है तो कहाँ है...
रिश्तों की परिभाषा मेरी औरों से हटके है.. पर औरों से अलग हो नहीं पाती... हो तो कैसे हो...
अजीब मंज़र अक्सर मै देखता हूँ...
मेरा अक्स और मै एक नहीं...
ये किसकी परछाई है हम दोनों में..
कितनी कोशिश की हटाने की पर उसकी गहरी छाप मेरे अक्स पर बढती ही जाती है..
कभी आके तुम आईने के सामने खड़ी हो जाओ...
के मै मुझसे मिल जाऊं...

Monday, September 13, 2010

रिश्ता...

सदियों से देखा है हमेशा लड़का लड़की का हाथ मांगता है...
पर इनकी कहानी में बात जरा उलटी है..
लड़का जरा शर्मीला है और लड़की बेखौफ्फ़...उन दोनों की रिश्ते की बात बोहोत दिनों से चल रही है...
वोह गुस्से में आकर उसपे आग बरसाता रहा...
और एक दिन उठ के वोह उसके बाप से उसका हाथ मांगने चली ही गयी...
बांप ने पुछा तो परदे के पीछे खडा शरमाया और अन्दर भाग गया...
आज सुबह सूरज भी बादलों के परदे के पीछे कुछ इसी तरह शरमाया था.. धरती को देख कर...!!!
अजीब रिश्ता है... समाज से अलग.. पर कितना सच्चा... 

जमीन और आसमां

 देखा जाए तो जमीन और आसमां में बोहोत फर्क है..
पर गौर से देखो तो कुछ भी नहीं..
दुनिया जैसे कोई बर्तन हो और आसमां ने जैसे उसे ढक लिया है..
ताकि इंसानियत की भांप बनी रहे ज़िन्दगी की लौ पर...
ऊपर भी लोग मुसाफिर है जो बादलों पे अपने कबीले बना के बस चलते रहते है..
वहाँ भी किसी बेखौफ्फ़ सितारे के मरने पे बारिश बहाते है...
चाँद की मोहब्बत में भी कोई तो ज़रूर तड़पता होगा...
और सूरज को पाने की आशा किसी के दिल में पनपती होगी..
कौमी दंगो में वहाँ भी बिजलियाँ गिरती है...
और हर शाम सूरज के डूबने पर खामोशी और मातम होता है..
वहाँ के डर और खौफ्फ़ भी कितने हमसे मिलते है...
इसीलिए शायद रोज़ रात को चाँद का 'night lamp' लगा कर..
हर बादल के बाहर एक सितारा पेहेरेदारी करता है के कही कोई आवारा उल्का आके लूट न ले...
सच में.. सितारों के आगे जहां और भी है!!!

Thursday, September 9, 2010

बीमारी...

इस बिमारी का 'virus' हर जगह फैला हुआ है...
ढलते सूरज की खामोश साँसों में...
उगते चाँद की मदहोश रोशनी में...
नाज़ुक बेबाक अदाओं में...
सुरमई आँखों की गहराई में...
खूबसूरत लफ़्ज़ों में...
इसके लक्षण भी बड़े ही अजीब है...
बेखुदी सी छाई रहती है..
आँखों में एक चमक रहती है...
मुस्कुराहट चेहरे से जाती ही नहीं...
एक बार लग जाए तो जान भी ले लेती है...

आते जाते यूँही किसी हवा के झोंके की तरह यह विरुस छु लेता है और दुनिया ही बदल देता है..
चुपके से लोगों के दिल में घर बना कर घूमता रहता है रगों में...
चाहो तो भी नहीं बच सकते अब..

इश्क की बिमारी ने अब महामारी का रूप ले लिया है!!!!*

* यह बिमारी छुने से फैलती है: सरकार द्वारा जनहित में जारी...