Sunday, December 9, 2012

school...

मेरे घर के पास के स्कूल में हर रोज़ बच्चे गाते है
"मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना"
कल फिर शेहेर में मज़हबी फसाद हुआ है
न जाने आज कल स्कूल में बच्चों को क्या पढाया जाता है.....

तेरे शेहेर की शाम....

बोहोत दिनों बाद आज तेरे शेहेर की शाम मिली थी मुझसे  साहिल पे
वही शाम जिसको हम साथ में बैठके डूबते देखा करते थे
वही शाम जो हमारी सारी बातें चुपके से सुना करती थी
जब से तूने शेहेर छोड़ा है, बोहोत ही अफसुर्दा लगती है शाम
जो पहले किसी बच्चे की मुस्कान की तरह खिल उठती थी
अब बस आती है और रात की चादर डाल के आसमान पर, चली जाती है
सुना है सूरज भी अब रात में घर नहीं जाता
काश के कभी यूँ भी होता
हम दोनों किसी दिन फिर मिल पाते चोरी चोरी साहिल पे
और शाम को तुम्हारी आँखों में डूबते देख पाता
और हम दोनों सूरज को उसके घर तक छोड़ आते
बोहोत याद करती है तुमको तुम्हारे शेहेर की शाम....
गर किसी दिन आओ साहिल पे तो हाल चाल पूछते जाना....