तेरी आँखें सब कुछ कहती है मुझसे....
तेरे मन का चेहरा बन रोज़ पलकों तले मिलती है मुझसे ..
आँख की कोर मे तैरती नमी में कुछ मजबूर अरमान मचलते नज़र आते है..
बात करते करते मुझसे जब अचानक नज़र फेर लेती हो ..
तेरे मन का चेहरा बन रोज़ पलकों तले मिलती है मुझसे ..
आँख की कोर मे तैरती नमी में कुछ मजबूर अरमान मचलते नज़र आते है..
बात करते करते मुझसे जब अचानक नज़र फेर लेती हो ..
तो जिंदगी की किताब का वो बेरंग सा सफ्फ्हा चुपके से पलट देती हो...
खामोश बैठ के जब यूँ ही आसमान की तरफ देखती हो. ..
तो आसमान की तन्हाई तुम्हारी आँखों में उतर आती है...
कल जब सनसेट देखा था तुमने मुस्कुराके ..
तो शाम को तुम्हारे नैनो में ढलते देखा था...
और तुमने चुपके से अपनी आँखों में शाम को महफूज़ कर के रख दिया...
और चाँद को कहा कल ढलते ढलते मुझसे ले जाना...
जब खुल के हस्ती हो...
तो एक अजीब सी मासूमियत भर आती है आँखों में...
खामोश बैठ के जब यूँ ही आसमान की तरफ देखती हो. ..
तो आसमान की तन्हाई तुम्हारी आँखों में उतर आती है...
कल जब सनसेट देखा था तुमने मुस्कुराके ..
तो शाम को तुम्हारे नैनो में ढलते देखा था...
और तुमने चुपके से अपनी आँखों में शाम को महफूज़ कर के रख दिया...
और चाँद को कहा कल ढलते ढलते मुझसे ले जाना...
जब खुल के हस्ती हो...
तो एक अजीब सी मासूमियत भर आती है आँखों में...
और सारे माहौल में फ़ैल जाती है खुशबू की तरह...
कई बरसों से अपाहिज हूँ लफ़्ज़ों की बैसाखी पर...
आकर कभी आँखों से बात करो...
के ख़तम हो लफ़्ज़ों का ये शोर...