Thursday, May 20, 2010

कमी सी है...

आज कल हर बात में कुछ कमी सी है...
कहने को तो है ग़म पर उसमे भी ख़ुशी सी है...

ढूँढता हूँ आवाजों में तन्हाई...
पर ये  तन्हाई भी सहमी सी है...

वोह भी हमारी तरफ यूँ देखते है..
के उनकी नज़रों में दुश्मनी सी है...

ये फासले हमारे बिच बढ़ ही रहे है...
के उनमे लम्बी दूरी सी है...

आहें भर के गुजारता हूँ रातें...
दिन में भी उदासी सी है...

प्यार मेरा तुम्हारा हुआ नाकाम तो क्या..
मेरे और उपरवाले में आजकल दोस्ती सी है... 

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