Friday, May 21, 2010

काश...

'काश' ये लफ्झ गर मेरी जिंदगी में आ जाए
सपनो के अधूरे पलों को फिर से सजाया जाए

जिंदगी मेरी लेती एक हसीन मोड़
वो इश्क का गुनाह फिर से किया जाए

मै तुम्हे देख सकता उस सपनो से भरे मंझर में
चलो आज फिर कोई सपना देखा जाए

तन्हाई भरी महफ़िल मेरी झूम उठती तेरी आवाज़ से
कई बातें जो अनकही थी उनको आज कहा जाए

तेरी उस हसीन मुस्कान पे रुक गया था मेरा दिल
चलो आज फिर कोई लतीफा सुनाया जाए

पर यह वक़्त बड़ा बेरेहेम है
चलो आज फिर आँखों को रुलाया जाए...

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