Wednesday, March 3, 2010

वो और मै.......

उसका दिन कट जाता है और उसे पता भी नहीं चलता
मेरा.... कटता नहीं इन्तेजार मै 

उसकी रात गुज़रती है ख्वाबों के साहिल पे
मेरी रात जैसे किसी भिकारी की नींद रेलवे स्टेशन पे....

उसके कदम जैसे चाँद की परछाई पानी  पर
मेरा कदम जैसे पड़ता हो गोबर पे.....

उसकी पलकें जब झपकती है तो जैसे एक लेहेर उतर आये साहिल पे....
मेरी आँखें जैसे सजी हो मोतिया बिन्द से....

उसकी आवाज़  जैसे गुलज़ार की कोई नज़्म...
मेरी आवाज़ जैसे गा रहा हो कोई बाथरूम में....

उसके ट्रेन का टिकट हमेशा "first A/C"
मेरा टिकट  "wait list" 62 से 42 पे....

उसकी जिंदगी जैसे दादी माँ की कहानी
मेरी जिंदगी जैसे ली हो उधार पे...

उसको को खुदा ने 'customized' बनाया था
और मुझे बना दिया 'made to order' पे....

2 comments:

  1. hey thanks a ton.. it feels really good when u appreciate my writing

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