Sunday, January 31, 2010

कभी तो बन तू मेरा साकी

कभी तो नज़र डाल मेरे मैखाने में 
खुल जायेंगे सब दरवाज़े तेरे लिए 
हो जायेंगे मेरे ख्वाब पुरे जो थे बाकि 
कभी तो आ कभी तो आ कभी तो बन तू मेरा साकी

सिने की उलझने सब मिटा दूंगा 
लबों की कपकपाहट को छीन लूँगा 
दो जाम भर के कभी मेरी आँखों में देख 
मेरी जन्दगी में कुछ न रहेगा बाकि 
कभी तो आ कभी तो आ कभी तो बन तू मेरा साकी

मेरा मैखाना तेरे बिना एक कब्र्खाना है 
तू मेरी हाला है , तुने मेरी जिंदगी को बदल डाला है 
सारे जहां में तुझसा न कोई हसीन अब बाकि 
कभी तो आ कभी तो आ कभी तो बन तू मेरा साकी..........

1 comment:

  1. gazab bhai gazab..... great work...!!

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