Wednesday, January 27, 2010

"तुम"

तुने मेरे दिल पर मरहम रख दिया
पुरानी ग़म की दीवारों को तुने तोड़ दिया
मैंने तो तुमसे सिर्फ जिंदगी मांगी थी
तुने तो जिंदगी जीने का ढंग दे दिया

इतनी हसीन कैसे हो पाती हो तुम
इतनी नजाकत से कैसे चल पाती हो तुम
जुल्फे तुम्हारी लहराना कही बंद न करदे
इसलिए मैंने हवाओं को कभी न रुकने का इशारा दे दिया

मिले थे हम जहा पहली बार
वहीँ हर रोज़ खिंचा चला आता हूँ
तुम्हारी साँसों की उलझनों को महसूस करता हूँ
तुम्हारे होटों का थरथराना याद आता है
हाय! मैंने अपना दिल तो वही रख दिया

तुम्हारी आँखों की मै क्या मिसाल दू
कत्थई रंग की एक जादुई चीज़ सी लगाती है
घने जंगल सी खामोश और गहरी
मै तुझे जंगलो जंगलो ढूँढता चला गया

लोग कहते है रिंद मुझे
तेरी निगाह-ए-मस्त का हुआ मै कुछ इस कदर दीवाना
मैखानो में जाने की कभी चाह ही नहीं जगी
तुने आँखों से कुछ ऐसा पिला दिया.....  

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