मुझ में जो शायर है.....
Friday, June 20, 2014
तसवीर
अपनी छत से अक्सर देखा है चाँद को
बोहोत पास नज़र आता है
हाथ बढ़ाऊं तो छू ही लूँ
तेरी तसवीर जब देखता हूँ
तब मुझे उस चाँद का तसव्वुर होता है
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