अब मुसलसल रात ही रात चलेगी
सुबह की धुप अब बस बिस्तर पे मिलेगी
सूरज लोरी गाकर सुलाएगा
और चाँद किसी जिगरी यार की तरह आकर उठाएगा
शाम अब सुबह होगी, सुबह रात होगी
सूरज निकलते ही चुभेगी अब रोशनी आँखों में
चाँद निकलेगा तो चमक आँखों में होगी
अब न कोई दोस्त यार मिलेगा
रात का सन्नाटा अब यार होगा और तन्हाई महबूबा होगी
हर रात उजली उजली कटेगी और दिन पे ग्रहण सा छाया होगा
हर वक़्त नींद सी छाई रहेगी आँखों में, हर वक़्त बिन पिए एक hangover रहेगा
तुझसे मुलाकाते अब बोहोत ही छोटी हो जाएँगी
तुझे अलविदा कहूँगा जब दिन की ओर बढोगी
और में अपनी रात पर्दों में बंद बिताऊंगा
सुबह की धुप अब बस बिस्तर पे मिलेगी
सूरज लोरी गाकर सुलाएगा
और चाँद किसी जिगरी यार की तरह आकर उठाएगा
शाम अब सुबह होगी, सुबह रात होगी
सूरज निकलते ही चुभेगी अब रोशनी आँखों में
चाँद निकलेगा तो चमक आँखों में होगी
अब न कोई दोस्त यार मिलेगा
रात का सन्नाटा अब यार होगा और तन्हाई महबूबा होगी
हर रात उजली उजली कटेगी और दिन पे ग्रहण सा छाया होगा
हर वक़्त नींद सी छाई रहेगी आँखों में, हर वक़्त बिन पिए एक hangover रहेगा
तुझसे मुलाकाते अब बोहोत ही छोटी हो जाएँगी
तुझे अलविदा कहूँगा जब दिन की ओर बढोगी
और में अपनी रात पर्दों में बंद बिताऊंगा
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