Tuesday, October 6, 2009

"रिश्ते"

कुछ रिश्ते शर्ट से निकले उस धागे की तरह होते है.....
जिसको खिंच कर तोडा नही जा सकता....के कही सिलाई निकल न जाए......
हवा के झोंके में बस वो धागा लहराता रहता है
और झोंका जाने के बाद उसका लहराना बंद हो जाता है.......
आख़िर में उस धागे को काटना ही पड़ता है......

तेरा मेरा रिश्ता शायद ऐसा ही था.........

2 comments:

  1. वाह सिद्धार्थ जी..रिशतों की ऐसी परिभाषा तो मैंने पहली बार ही जानी है..सुंदर है जी ...लिखते रहिये..

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  2. nice
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