ऐसे ही किसी दिन एक शाम आए, हब सब मुसीबतों को कही दूर छोड़ आए
तुम तुम और बस तुम रहो मेरे पहलु में, मै गाऊ कोई ग़ज़ल तेरे लिए
और बस बरसात हो जाए
खिड़की के दोनों तरफ़ मै और तुम खड़े हो
तुम शरमाई सी खड़ी रहना, मै घबराया सा, जैसे हम पहली बार मिले थे
तुम अपने बालों को सँवारने की कोशिश करो और कहीं से हवा का झोंका आए
तुम्हारा ध्यान न हो और मैं चुपके से तुम्हारे बालों को सवार जाऊ
और तुम्हारे चेहरे पर बस बस और बस एक मद्धम सी मुस्कान आए
और फिर तुम एक छोर से उगते हुए चाँद की मदहोश जवानी पे ज़रा नज़र डालना
और मै ढलते हुए सूरज की खामोश रौशनी को अपनी आँखों में भर लू
हम आँखों में आँखे डाल कर खड़े रहे
तुम्हारी चाँद सी जवानी और मेरी उन्ही खामोश आँखों में फिर वोही खिचाव आए
हम एक दुसरे के करीब आते जाए
और चुपके से रात हो जाए.....................
तुम तुम और बस तुम रहो मेरे पहलु में, मै गाऊ कोई ग़ज़ल तेरे लिए
और बस बरसात हो जाए
खिड़की के दोनों तरफ़ मै और तुम खड़े हो
तुम शरमाई सी खड़ी रहना, मै घबराया सा, जैसे हम पहली बार मिले थे
तुम अपने बालों को सँवारने की कोशिश करो और कहीं से हवा का झोंका आए
तुम्हारा ध्यान न हो और मैं चुपके से तुम्हारे बालों को सवार जाऊ
और तुम्हारे चेहरे पर बस बस और बस एक मद्धम सी मुस्कान आए
और फिर तुम एक छोर से उगते हुए चाँद की मदहोश जवानी पे ज़रा नज़र डालना
और मै ढलते हुए सूरज की खामोश रौशनी को अपनी आँखों में भर लू
हम आँखों में आँखे डाल कर खड़े रहे
तुम्हारी चाँद सी जवानी और मेरी उन्ही खामोश आँखों में फिर वोही खिचाव आए
हम एक दुसरे के करीब आते जाए
और चुपके से रात हो जाए.....................
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