Friday, August 14, 2009

लंबा साल

ये साल बोहोत लंबा था
साल के पहले दिनों में हम पहली बार मिले
दूसरी बार बातें की, फिर दिल मिले
और तीसरी बार हम बिछड़ जायेंगे यह कभी सोचा न था
ये साल बोहोत लंबा था.......

कितनी बातें कही और बोहोत सी कहनी थी
पर देखा तो होटो पर वोह सारी बातें सहमी हुई थी
बरसात में कीचड़ से गुज़रते वक्त फिर हाथ आगे बढाया
पर इस बार हात में तेरा हात न था
ये साल बोहोत लंबा था........

तुम्हारी आँखें बोहोत खुबसूरत थी
बोहोत ही कम तारीफ़ की थी मैंने
उन आंखों में डूबना चाहता था
इस जिंदगी का वोही एक किनारा था
ये साल बोहोत लंबा था....

रोज़ तुम्हे देखने के लिए चला आता था
पर में न रुक पाया तुमने न कभी रोका
हाँ, पर खामोशियों को वहाँ खेलते जरुर देखा था
ये साल बोहोत लंबा था.....

साल में कुछ ऐसे भी दिन थे
के हर वेहेम यकीं होता था
तुम्हारी तस्वीर से बातें करता था
और बोहोत से दिन ऐसे भी आए
के तुम्हारी तस्वीर को देखते देखते सो जाता था
ये साल बोहोत लंबा था........

कितने दिन हो गए तुम्हे देखा नही, महसूस नही किया, तुम्हारी सुरमई आवाज़ नही सुनी
कितनी राते हो गई तुम्हारी याद में मई रोया न था,
उफ़ ये साल सच में कितना लंबा था......
ये साल बड़ा तनहा था......

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