किसी दिन जब तुम मिलोगी
किसी पहाड़ के ऊपर चलेंगे
कुछ ऐसे वक्त में जब सूरज अपनी आखरी साँसें गिन रहा हो
और चाँद कुछ ऐसे निकले जैसे किसी छोटे बच्चे की नींद खुली हो
तब मैं तुम्हारे सामने आकर तुम्हारे कंधे पे हात रख कर
उस सूरज को तुम्हारी आंखों में डूबता देखना चाहता हूँ
उसी वक्त एक ठंडी हवा का झोंका आए
कुछ इस तरह जैसे जलते सूरज पर कोई पानी के कतरे फ़ेंक गया हो
जब तुम अपनी जुल्फे संवारोगी
तब मैं उस चाँद को देखना चाहता हूँ
हाय!! कितना शर्मा जाएगा वो चाँद तुमको देखकर
Badehee komal bhavon se sajee rachana hai!
ReplyDeleteAapka ye sapna sakar ho..
aazaadeekee saalgirah mubarak ho!
bahut khoobsoorat khayal.
ReplyDelete---
प्रिय मित्र,
जश्ने-आजादी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आज़ादी मुबारक हो.
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उल्टा तीर पर पूरे अगस्त भर आज़ादी का जश्न "एक चिट्ठी देश के नाम लिखकर" मनाइए- बस इस अगस्त तक. आपकी चिट्ठी २९ अगस्त ०९ तक हमें आपकी तस्वीर व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज दीजिये.
आभार.
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अमित के सागर