Friday, August 14, 2009

किसी दिन जब तुम मिलोगी

किसी दिन जब तुम मिलोगी
किसी पहाड़ के ऊपर चलेंगे
कुछ ऐसे वक्त में जब सूरज अपनी आखरी साँसें गिन रहा हो
और चाँद कुछ ऐसे निकले जैसे किसी छोटे बच्चे की नींद खुली हो

तब मैं तुम्हारे सामने आकर तुम्हारे कंधे पे हात रख कर
उस सूरज को तुम्हारी आंखों में डूबता देखना चाहता हूँ

उसी वक्त एक ठंडी हवा का झोंका आए
कुछ इस तरह जैसे जलते सूरज पर कोई पानी के कतरे फ़ेंक गया हो
जब तुम अपनी जुल्फे संवारोगी
तब मैं उस चाँद को देखना चाहता हूँ
हाय!! कितना शर्मा जाएगा वो चाँद तुमको देखकर

2 comments:

  1. Badehee komal bhavon se sajee rachana hai!

    Aapka ye sapna sakar ho..

    aazaadeekee saalgirah mubarak ho!

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  2. bahut khoobsoorat khayal.

    ---

    प्रिय मित्र,
    जश्ने-आजादी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आज़ादी मुबारक हो.
    ----
    उल्टा तीर पर पूरे अगस्त भर आज़ादी का जश्न "एक चिट्ठी देश के नाम लिखकर" मनाइए- बस इस अगस्त तक. आपकी चिट्ठी २९ अगस्त ०९ तक हमें आपकी तस्वीर व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज दीजिये.
    आभार.
    विजिट करें;
    उल्टा तीर
    http://ultateer.blogspot.com
    अमित के सागर

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