Friday, August 14, 2009

आज कल कुछ बदल गया हूँ

आज कल कुछ बदल गया हूँ
पहले हस्ते हस्ते आँख से आंसूं निकल आते थे
अब आंसू निकलते हैं तो हसने लगता हूँ

मेरा "सेंस ऑफ़ ह्यूमर" कहीं खो गया है
दिन भर उसको खोजता हूँ
पर कहीं नही मिलता मुझको
शायद तुम्हारे आँगन पर रख के भूल आया हूँ

हर बात में कमी सी लगाती है
अकेला सा रहने लगा हूँ
बंद एक कमरे में
कुछ लिखने की तमन्ना ही नही होती
के थोड़ा "practical " हो गया हूँ

किसी से बात करता हूँ तो ऐसे लगता है
जैसे उसका सहारा लेकर वक्त गुज़र रहा हूँ

लफ्ज़ मेरे दोस्त हुआ करते थे
आज कल मेरे साथ चलने से इनकार करते है
इसलिए अब सिर्फ़ तनहा हूँ

छोटे बच्चों के साथ बोहोत खेलता था मैं
उनको गोदी में लेकर घूमता था
आज कल उनपे चिल्लाता हूँ

कम लोगो से मिलता हूँ
कम लोगो में घुलता हूँ
हस्त कम हूँ
हसाता भी कम हूँ

अलग सा इंसान बन गया हूँ
मेरा ज़मीर आज कल सवाल करने लगा है मुझको
पर उसे मैं जवाब नही देता हूँ

तेरी जुदाई ने कितना बदल दिया है मुझको......

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