हर बार की तरह इस बार भी जनवरी में वक़्त एक साल आगे बढ़ा है..
सारी दुनिया ने नए साल का स्वागत किया है जैसे किसी नयी दुल्हन का करते हो...
अपना अपना तरीका है सब का नया साल मानाने के लिए...
पास के झोपड़ियों ने भूका रह कर नए साल में कदम रक्खा है..
कुछ बच्चों ने बचा हुआ सडा खाना खा कर पार्टी की है...
कुछ लोगों ने किसी का रेप कर अपनी ख़ुशी मनाई है...
कुछ क़त्ल हुए नए साल पर...
कई नौजवान इस रात भी नौकरी का सिर्फ तसव्वुर करके नाच रहे है...
और शराब कि महफ़िल सजी है बड़े मकानों में..
खोक्लापन, झूट, मतलबीपन, इन सब को चकने में खा रहे है...
मुझे इंतज़ार है उस साल का जब सच में कुछ नया हो..
और न ही सिर्फ तारीख किसी अपाहिज की तरह आगे खिसके...
कुछ लोगों ने किसी का रेप कर अपनी ख़ुशी मनाई है...
कुछ क़त्ल हुए नए साल पर...
कई नौजवान इस रात भी नौकरी का सिर्फ तसव्वुर करके नाच रहे है...
और शराब कि महफ़िल सजी है बड़े मकानों में..
खोक्लापन, झूट, मतलबीपन, इन सब को चकने में खा रहे है...
मुझे इंतज़ार है उस साल का जब सच में कुछ नया हो..
और न ही सिर्फ तारीख किसी अपाहिज की तरह आगे खिसके...
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