Monday, July 26, 2010

extinct

बाघों की तरह इंसान भी धीरे धीरे 'extinct' हो रहा है...
जिंदगी के शिकारी हमेशा उनकी फ़िराक में रहते है...
किसी को अकाल की गोली लगती है...
किसी को बाढ़ निगल जाती है...
कोई भूकंप के जाल में फस जाता है..
किसी को जिंदगी 'poach' कर लेती है..
इंसानों के दिल-ओ-दिमाग का सौदा किया जा रहा है..
आत्म सम्मानं, सच्चाई को अपने मतलब के लिए बेचा जा रहा है...
सरकार बाघों के लिए 'save tiger' के नारे लगाती है...
'save humans' के क्यों नहीं लगाती?
आओ के बचा ले इस प्रजाति को...
बस अब कुछ ही बचे है...

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