Sunday, August 11, 2013

खामोश....

कभी कभी यूँ ही खामोश रहने को दिल करता है.…
कोई सवाल पूछे तो बस हँस कर जवाब देने को दिल करता है….
ये नहीं की किसी बात पर खफा हूँ, या दिल दुखा है….
पर जिंदगी की इस सर्दी में खामोशी का कम्बल ओढ़े.…
वक़्त के इस अमर अलाव के पास बैठने को दिल करता है….
जेहेंन के इस मुसलसल शोर से तंग आ चूका हूँ.…
अपने वजूद को भुलाकर इस कायनात को बस देखने को दिल करता है.…
ज़िन्दगी की हकीकत कुछ और है ये जानता हूँ.…
पर  फिर भी ज़िन्दगी के इस झूट को गले लगा कर जीने को दिल करता है…. 

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