अगर इंडिया और पकिस्तान आज एक होते..
तो सचिन तेंदुलकर और वसीम अकरम एक ही टीम में होते..
क्या टीम होती वह हर विश्वकप हम ही जीतते...
कश्मीर की पेशानी पे इतनी चोटे नहीं होती...
हिन्दू और मुसलमानों के बदन से कॉमि बदबू नहीं आती...
उर्दू आज भी स्कूलों में पढाई जाती...
'Bangalore' के साथ साथ इस्लामाबाद भी 'IT' में आगे होता..
न टूटती बाबरी न गोधरा में दंगा भड़कता...
आतंकवादियों से ज्यादा समाजवादी होते...
लाहोर की शामे और भी सुरमई होती...
और काम के सिलसिले में लोगों का कराची आना जाना होता...
मेहदी हसन और नुसरत साब की आवाजें हर घर में गूंजती ...
पर वक़्त का फरमान कुछ और था...
और फसल जो पहले एक ही खेत से कटती थी अब अलग अलग बाज़ारों में बेचीं जाती है...
'Nuclear family' की हवा ने देशों को भी नहीं छोड़ा...
जो रोटी पहले एक ही चूल्हे पर पकती थी , वो अब अलग अलग कमरों में बंद दरवाज़ों के भीतर बनती है...
इश्वर-ओ-अल्लाह भी क्या करते , के खुदा के इस बनाये हुए जहां में कुछ लोग खुद खुदा बन गए थे...
मैंने बटवारे को देखा नहीं है पर आज भी सरहद पर उन रूहों की चीख सुनाई देती है..
तो सचिन तेंदुलकर और वसीम अकरम एक ही टीम में होते..
क्या टीम होती वह हर विश्वकप हम ही जीतते...
कश्मीर की पेशानी पे इतनी चोटे नहीं होती...
हिन्दू और मुसलमानों के बदन से कॉमि बदबू नहीं आती...
उर्दू आज भी स्कूलों में पढाई जाती...
'Bangalore' के साथ साथ इस्लामाबाद भी 'IT' में आगे होता..
न टूटती बाबरी न गोधरा में दंगा भड़कता...
आतंकवादियों से ज्यादा समाजवादी होते...
लाहोर की शामे और भी सुरमई होती...
और काम के सिलसिले में लोगों का कराची आना जाना होता...
मेहदी हसन और नुसरत साब की आवाजें हर घर में गूंजती ...
पर वक़्त का फरमान कुछ और था...
और फसल जो पहले एक ही खेत से कटती थी अब अलग अलग बाज़ारों में बेचीं जाती है...
'Nuclear family' की हवा ने देशों को भी नहीं छोड़ा...
जो रोटी पहले एक ही चूल्हे पर पकती थी , वो अब अलग अलग कमरों में बंद दरवाज़ों के भीतर बनती है...
इश्वर-ओ-अल्लाह भी क्या करते , के खुदा के इस बनाये हुए जहां में कुछ लोग खुद खुदा बन गए थे...
मैंने बटवारे को देखा नहीं है पर आज भी सरहद पर उन रूहों की चीख सुनाई देती है..
जिनके जिस्म काटे गए , इज्जत लूटी गयी , और जिनको बिछड़ने पे मजबूर किया गया...
आज भी पंजाब में सड़ी गली लाशों के निशाँ दिखाई देते है जिनको सड़क पर से कुरेद कर निकाला गया..
काश आज ये दोनों देश एक होते...
तो इन रूहों को चैन मिलता..
आज भी पंजाब में सड़ी गली लाशों के निशाँ दिखाई देते है जिनको सड़क पर से कुरेद कर निकाला गया..
काश आज ये दोनों देश एक होते...
तो इन रूहों को चैन मिलता..
अमन की सिर्फ आशा ही नहीं अमन की खुशबू से हर कोना महकता...
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