Monday, August 1, 2011

सावन...

कल रात के आखरी पहर में  दरवाज़े पे हुई दस्तक ने अचानक जगा दिया...
हवा का झोंका था जो दरवाज़े पे कुछ सब्ज़ पानी की बूँदें फ़ेंक गया था..

सुबह उठ के 'calendar' देखा तो सावन का महिना शुरू हो चूका था.... 

3 comments:

  1. वाह सावन, आह सावन ।

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  2. shukriya shukriya...
    haan sawan ka maja kuch aur hi hai...

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  3. अहा! अति सुन्दर अभिव्यक्ति.... धन्यवाद.

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