या खुदा यह तेरा कैसा दस्तूर है....
कोई 'race' में दौड़ता है तो कोई दो कदम चल नहीं पाता....
किसी के पास आलिशान बंगला है और किसी के पास शान की एक झोपडी...
कोई दिन में चार बार खाना खाता है तो किसी को चार निवाले नहीं मिलते....
कुछ लोगों के पास कपडे रखने के लिए जगह नहीं.. तो कुछ लोगों के लिए कपडे पेहेनना भी एक ख्वाब है....
क्या तेरा भी कोई 'performance appraisal' सिस्टम है?... जो कहता है 'perform or perish'...
क्या तुझे भी 'targets' दिए है?....
शायद सालाना 'targets' हो जाने के बाद तेरी रहमत बंद है....
उफ्फफ्फ्फ़.... 'targets' ने तो खुदा को भी नहीं छोड़ा....
No comments:
Post a Comment