देखा जाए तो जमीन और आसमां में बोहोत फर्क है..
पर गौर से देखो तो कुछ भी नहीं..
दुनिया जैसे कोई बर्तन हो और आसमां ने जैसे उसे ढक लिया है..
ताकि इंसानियत की भांप बनी रहे ज़िन्दगी की लौ पर...
ऊपर भी लोग मुसाफिर है जो बादलों पे अपने कबीले बना के बस चलते रहते है..
वहाँ भी किसी बेखौफ्फ़ सितारे के मरने पे बारिश बहाते है...
चाँद की मोहब्बत में भी कोई तो ज़रूर तड़पता होगा...
और सूरज को पाने की आशा किसी के दिल में पनपती होगी..
कौमी दंगो में वहाँ भी बिजलियाँ गिरती है...
और हर शाम सूरज के डूबने पर खामोशी और मातम होता है..
वहाँ के डर और खौफ्फ़ भी कितने हमसे मिलते है...
इसीलिए शायद रोज़ रात को चाँद का 'night lamp' लगा कर..
हर बादल के बाहर एक सितारा पेहेरेदारी करता है के कही कोई आवारा उल्का आके लूट न ले...
सच में.. सितारों के आगे जहां और भी है!!!
पर गौर से देखो तो कुछ भी नहीं..
दुनिया जैसे कोई बर्तन हो और आसमां ने जैसे उसे ढक लिया है..
ताकि इंसानियत की भांप बनी रहे ज़िन्दगी की लौ पर...
ऊपर भी लोग मुसाफिर है जो बादलों पे अपने कबीले बना के बस चलते रहते है..
वहाँ भी किसी बेखौफ्फ़ सितारे के मरने पे बारिश बहाते है...
चाँद की मोहब्बत में भी कोई तो ज़रूर तड़पता होगा...
और सूरज को पाने की आशा किसी के दिल में पनपती होगी..
कौमी दंगो में वहाँ भी बिजलियाँ गिरती है...
और हर शाम सूरज के डूबने पर खामोशी और मातम होता है..
वहाँ के डर और खौफ्फ़ भी कितने हमसे मिलते है...
इसीलिए शायद रोज़ रात को चाँद का 'night lamp' लगा कर..
हर बादल के बाहर एक सितारा पेहेरेदारी करता है के कही कोई आवारा उल्का आके लूट न ले...
सच में.. सितारों के आगे जहां और भी है!!!
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