किसी की नज़र में हैवान हूँ...
किसी की नज़र में भगवान् हूँ...
कौन हूँ मै?
कोई कातिल कहता है मुझे...
किसी ने मुनसिफ बना रखा है...
किसी ने बांधली है उम्मीद मुझसे...
कोई हसता है मेरी उम्मीद पर...
कभी किसी ने वली कह दिया...
बादाख्वार करार किया किसीने...
कौन हूँ मै?..
कोई हैरत से देखता है मुझे...
कोई देख के अनदेखा करता है...
कभी शायर हूँ, किसी पल में कायर भी..
कभी बस प्यार प्यार ही प्यार हूँ.. नफरत-ए-शमशीर भी..
कौन हूँ मै?...
कभी करता हूँ खुदा को सजदे...
कभी बुतखानो पे हँसता हूँ..
कभी गुजरी है रात मैकदों में..
कभी यूँ ही सड़कों पर सारी रात गुजारता हूँ..
कौन हूँ मै?
क्या मेरा भी कोई वजूद है?
या बस सांस हूँ मै ?
कोई नया रिश्ता बनता है तो सवाल और गहरा होता है..
सदियों से भटक रहा हूँ इस ज़मीन पर...
बस एक ही सवाल है मुसलसल...
कौन हूँ मै?
किसी की नज़र में भगवान् हूँ...
कौन हूँ मै?
कोई कातिल कहता है मुझे...
किसी ने मुनसिफ बना रखा है...
किसी ने बांधली है उम्मीद मुझसे...
कोई हसता है मेरी उम्मीद पर...
कभी किसी ने वली कह दिया...
बादाख्वार करार किया किसीने...
कौन हूँ मै?..
कोई हैरत से देखता है मुझे...
कोई देख के अनदेखा करता है...
कभी शायर हूँ, किसी पल में कायर भी..
कभी बस प्यार प्यार ही प्यार हूँ.. नफरत-ए-शमशीर भी..
कौन हूँ मै?...
कभी करता हूँ खुदा को सजदे...
कभी बुतखानो पे हँसता हूँ..
कभी गुजरी है रात मैकदों में..
कभी यूँ ही सड़कों पर सारी रात गुजारता हूँ..
कौन हूँ मै?
क्या मेरा भी कोई वजूद है?
या बस सांस हूँ मै ?
कोई नया रिश्ता बनता है तो सवाल और गहरा होता है..
सदियों से भटक रहा हूँ इस ज़मीन पर...
बस एक ही सवाल है मुसलसल...
कौन हूँ मै?
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