या खुदा ये तुने क्या कर दिया औरत को जिस्म दे के ...
नंगा किया जाता है जिसे हर चौराहे पर पैसे दे कर...
हर किसी की आँख में एक शैतान बैठा है..
जिसको बस अपनी हवस मिटानी है प्यार का नाम दे कर..
कभी मजबूर बेबस हो कर तो कभी मज़े के लिए...
औरत ने इस ब्रह्माण्ड को जाना है सिर्फ जिस्मानी तौर पर...
नूर है ज़िन्दगी का औरत के जिस्म में...
इस बात को भूल कर क्यूँ है सब सेक्स का गिलाफ ओढ़ कर...
कई बरसों से उस दिन का कर रहा हूँ इंतज़ार 'पराशर'...
जब न कोई औरत हो न मर्द, हर कोई जी रहा हो इंसान बन कर...
नंगा किया जाता है जिसे हर चौराहे पर पैसे दे कर...
हर किसी की आँख में एक शैतान बैठा है..
जिसको बस अपनी हवस मिटानी है प्यार का नाम दे कर..
कभी मजबूर बेबस हो कर तो कभी मज़े के लिए...
औरत ने इस ब्रह्माण्ड को जाना है सिर्फ जिस्मानी तौर पर...
नूर है ज़िन्दगी का औरत के जिस्म में...
इस बात को भूल कर क्यूँ है सब सेक्स का गिलाफ ओढ़ कर...
कई बरसों से उस दिन का कर रहा हूँ इंतज़ार 'पराशर'...
जब न कोई औरत हो न मर्द, हर कोई जी रहा हो इंसान बन कर...
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