Friday, June 20, 2014

उम्मीद

अक्सर मैंने एक पागल औरत को देखा है
मेरे घर के चक्कर लगाती रहती है
मैले कपडे, बिखरे बाल
जो भी गुज़रता है रास्ते पर उससे बस यही सवाल पूछती है
वो कब आएगी?
हर बार जब मै घर से निकलू मेरे पीछे भागती है
न जाने किसकी तलाश है उसे
उस की चीख सुन कर आंसू आते है आँखों में
कल की शब  अपने आँगन में देखा था उसको
किसी रूठे हुए बच्चे की तरह कोने में बैठी थी
मैंने बड़े प्यार से उससे पुछा कौन हो तुम?
मेरे कानो में वो चुपके से कह गई
मैं तुम्हारी उम्मीद हूँ.…

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